सोमवार, 16 जुलाई 2012

जहां दलित के घर का नाम है निगाहे करम

दलित के घर पर लीखा है निगाहे करम और कुरान की तसवीर

गुजरात के राजकोट शहर में गांधी वसाहत एरीया में एक दलित के घर की यह तसवीर है. यह घर है गोविंदभाई अघोरा का. घर का नाम ही है 'निगाहे करम' और दीवार पर कुराने शरीफ का चित्र बनाया गया है. यह वही एरीया है, जहां 14 अप्रैल, 2011 के दिन मुसलमानों ने डॉ. बाबासाहब अंबेडकर की प्रतिमा का खंडन किया है, ऐसी अफवाह बीजेपीवालों ने फैलाई थी. उसके बाद एक सोची समजी साजिश के तहत दलितों पर पुलीस ने इतने अत्याचार किए थे कि इस साल 2012 में राजकोट जैसे शहर में 14 अप्रैल को सिर्फ 500 दलित बाबासाहब की प्रतिमा का दर्शन करने आए थे. बहुत सारे लोग दहेशत के मारे अपने घरों में ही बैठे रहे.

इस तरह नरेन्द्र मोदी की पुलीस दलितों के मन में आतंक का माहौल खडा करने में सफल हूइ है. हमारे बहुत सारे लोग गुजरात में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में नरेन्द्र मोदी को दलितों का हमदर्द समजते हैं. उन बेवकुफों को अब समज लेना चाहिए कि मोदी दलितों का मसीहा नहीं हैं.

दूसरी बात, 2002 के गुजरात के नरसंहार में दलितों-आदिवासियों की हिस्सेदारी पर काफी चर्चा हूई थी. मीडीया से लेकर कुछ सेक्युलारिस्टों ने भी इस दुष्प्रचार में अहम भूमिका नीभाई थी. गुजरात के दलित इस्लाम का आदर करते हैं, इसका प्रमाण है हमारे गोविंदभाई अघोरा के घर की यह तसवीर.