उत्तर प्रदेश में आज जिस तरह से अखिलेश की सरकार जाटों की भीड से नीपट रही है,
उसे देख कर अस्सी के दसक के गुजरात की याद आ रही है. बस इसी प्रकार उन दिनों
आरक्षण-विरोधी उपद्रव से कांग्रेस की सरकार निपट रही थी. कभी निरंकुश पुलीस दमन से
तो कभी मेच फीक्सींग से. कहीं शासक पार्टी की मीटींग में पार्टी का सरगना कहता था,
अच्छा हुआ यह आंदोलन दंगो में तबदील हो गया, हमारी सरकार बच गई. तो दूसरी और
विपक्ष सत्ता पर आने की ताक में आरक्षण-विरोधियों के पीछे बैठकर कार चलाता था, जिसके
नीचे आनेवाले दिनों में बहुत सारे "लोग" (उनकी भाषा में
पपी) कुचलकर मरनेवाले थे. उस वक्त गुजरात में
पटेल समुदाय शासन के खिलाफ सडकों पर उतर आया था. युपी में जाटों को बीजेपी इसी तरह
आज भडका रही है. हालात वैसे ही है. युपी का अखिलेश और गुजरात का अमरसिंह. लगता है,
इतिहास रीपीट हो रहा है.
सोमवार, 30 सितंबर 2013
बुधवार, 25 सितंबर 2013
गुगल की गुगली
आज ‘दिव्य भास्कर’ अहमदाबाद की कलश पूर्ति में शबद कीर्तन कोलम में परेश व्यास
लिखता है, "गुगल सर्च एन्जिन में आप ‘मोदी जगरनोट’ शब्द टाइप करोगे तो 1,35,000 वेबसाइटों
की लिस्ट खूलती है."
परेश के यह अदभूत सूझाव से प्रोत्साहित
होकर हमने गुगल सर्च एन्जिन पर ‘मोदी रास्कल’ शब्द टाइप किया और 2,87,000
वेबसाइटों की लिस्ट खूल गई. क्या करें?
बुधवार, 18 सितंबर 2013
पाप तारुं परकाश जाडेजा
गुजरात में जेसल और तोरल की कहानी मशहूर है. जेसल जाडेजा राजपूत जाति का एक
अत्याचारी, आतंकी लूंटेरा था. कई निर्दोष लोगों की उसने कत्ल की थी. कई नवविवाहित
युगलों को उसने मौत के घाट उतारा था. लोग उसके नाम से कांपते थे. एक बार उसने तोरल
नाम की सुंदर स्त्री को देखा और उसे उठाकर ले गया. रास्ते में दोनों समंदर पार
करने क लिए एक नाव में बैठे और बडा तुफान आया. नाव डगमगाने लगी.
जेसल कुदरत का तुफान देखकर डर गया और वह तोरल के आगे अपने सारे पापों का बयान
करने लगा. तोरल सती थी. उसने जेसल को आश्वस्त करते हुए जो कहा, वह एक बहुत मशहूर
लोकगीत में ढाला गया है. "पाप तारुं परकाश जाडेजा, धरम तारो संभार रे, तारी बेडली ने डुबवा नहीं दउं, ओ
जाडेजा रे एम तोरल कहे छे जी"
अर्थात हे, जाडेजा तुं तेरे पापों को याद
कर (प्रायश्चित कर), मैं तेरी नैयां डूबने नहीं दुंगी."
आज यह कहानी हमें इसलिए याद आ गई कि बिलकुल तोरल की तरह देश का मीडीया आज
गुजरात के मुख्यमंत्री के पापों को धो धोकर उन्हे पीएम की गद्दी के लिए पवित्र बना
रहा है. फर्क तोरल और मीडीया में इतना ही है कि तोरल ने जाडेजा को उसके पापों के
लिए शरमिंदा होने पर मजबूर किया था. देश का मीडीया आज के जेसल को उसके पापों के
बारे में कुछ याद दिलाना नहीं चाहता.
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