बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

चांडाल - हिन्दुओं का पितामह



'हमारे प्रधानमंत्री नरेन्दर दामोदरदास मोदी' नाम के पेइज पर यह फोटो रखा गया है. चांडाल दलितों का ही नाम था प्राचीन काल में. ऐसे फोटो रखनेवाले जातिवादी लोगों को आप वोट दोगे?

राम का जन्म


राजा दशरथ की पत्नी कौसल्या कौशल राज्य से थी. कौशल प्राचीन काल में छत्तीसगढ और ओरिस्सा में था. हिन्दु परंपरा अनुसार औरत की प्रथम प्रसूति उसके पिता के घर होती है. राम का जन्म कौशल में होना चाहिए थे, अयोध्या में कैसे हो गया? 

सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

क्या ट्वीट् करोगे?

देश के किसी भी कोने में एक कुत्ता भी मूतता है, तो हमारे भावि प्रधानमंत्री ट्वीट् करते हैं. लक्ष्मणपुर-बाथे में 58 दलितों को जिन्दा जलानेवाले दरिंदों को बाइज्जत बरी किया गया. आप का क्या कहना है, महाशय?

सलमान मोदी और नरेन्द्र खान

दोनों की लोकप्रियता अपार है. दोनों अपने अपने क्षेत्र में सुपर स्टार है. दोनों के खिलाफ मीडीया ने खुब किचड उछाला था, अब मीडीया दोनों का थुंक चाट रहा है. दोनो के दबंगपन पे लाखों लोग दिवानें हैं. दोनों बडे स्टंटमेन है, मगर डमियों से स्टन्ट करवाते हैं.


दोनों ने अपनी कारों तले लोगों को कुचल डाला. एक कहता है, मैं गाडी चलाता था. दूसरा कहता है, मैं बेक सीट पर था. बस फर्क इतना ही है. 

- तो दुनिया जोर से हंसेगी

सही बात है. दूनिया हंस रही है. एक साधु ने सपना देखा और आपने खुदाई शुरू कर दी. आप भूल गए कि यह तो इक्कीसवीं सदी के साधु है. उन्हे सपने में सोना दिखाई देता है, नरसिंह महेता का तंबूरा नहीं. इन साधुओं को तो सोना चाहिए, नाबालिग लडकियां चाहिए, कुछ लाख पाउन्ड में किसी टापु खरीदने की औकात चाहिए और सबसे घटिया बात तो यह है कि उन्हे सत्ता के करीब पहुंचने के वास्ते एक राजकीय पक्ष चाहिए. अगर आपने आनेवाले चुनाव में इन साधुओं की बात मानकर किसी राजकीय पक्ष को अपना पवित्र मत दे दिया तो दुनिया सचमुच जोर जोर से हंसेगी

बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

विटामीन वोटबेन्क


जिस तरह सूरज की किरणों से मनुष्यों में विटामिन डी पैदा होता है, उस तरह आसाराम जैसे तथाकथित संतों से भारतीय जनता पार्टी के लिए विटामीन वोटबेन्क पैदा होती है.

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

आसाराम से बहेतर कौन था?



अगर भीड का उन्माद ही किसी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए काफी है तो आसाराम से बहेतर कौन था?

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

गुजरात मोडल या केरल मोडल?



 
केरल का लिंग अनुपात 959 है और गुजरात का 886 है. केरल में साक्षरता 99 प्रतिशत है, गुजरात में 73 प्रतिशत है. केरल की प्रति व्यक्ति आय 63,000 है और गुजरात की 49,251 है. केरल का शिशु मृत्यु दर प्रति हजार सात है और गुजरात का 31 है. केरल का कुपोषण का दर 28.6 फीसदी है और गुजरात का 44 है. केरल के बच्चों में पांडु रोग 44.5 फीसदी है, गुजरात में 69.7 फीसदी है. केरल में बाल मजदूरों की संख्या सिर्फ 26,156 है, गुजरात में साडे तीन लाख है. केरल की आबादी गुजरात से आधी है. बाल मजदूरों की संख्या गुजरात से आधी होनी चाहिए. प्राथमिक आरोग्य केन्द्रों की संख्या केरल में 944 है, जब कि गुजरात में 1084 है. गुजरात में 57,841 नागरिकों के बीच एक पीएचसी है, जब कि केरल में 25,591 नागरिकों के बीच एक पीएचसी है. केरल में रसीकरण 75 फीसदी है, गुजरात में सिर्फ 45 फीसदी है. अर्थात् गुजरात के 55 फीसदी बच्चों का रसीकरण नहीं होता. गुजरात में संस्थागत प्रसूति 54.6 है, जब कि केरल में 99.5 है, अर्थात गुजरात में 45 फीसदी प्रसूति घरों में होती है. केरल में ड्रोप आउट का प्रमाण 0.15 है, गुजरात में 59.29 है.

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

एट्रोसीटी केस के आरोपी को बचाने के लिए गुजरात सरकार ने रू. 14 लाख खर्च किया

परिमल त्रिवेदी और उसका भगवान


एट्रोसिटी केस में गुजरात युनिवर्सिटी के ब्राह्मण पूर्व-कुलपति परिमल त्रिवेदी को बचाने के लिए सरकार ने वकीलों को रू. 14 लाख दिया. परिमल ने दलित प्राध्यापक पंकज श्रीमाली को जातिसूचक संबोधन किया था. श्रीमाली ने परिमल के उपर एट्रोसिटी केस दर्ज किया था. इसी केस में परिमल त्रिवेदी को बचाने के लिए गुजरात युनिवर्सिटी ने लाखो रूपया खर्च किया है. 

परिमल नरेन्द्र मोदी का बडा भक्त है. गुजरात में संघ परिवार ने छात्रों को भगवा रंग में रंगा है और इस कार्य में परिमल त्रिवेदी जैसे लोगों का बडा योगदान है. परिमल 1990 में अहमदाबाद के वस्त्रापुर वोर्ड का बीजेपी का उपाध्यक्ष था. चुनावों के दौरान परिमल अच्छा स्लोगन राइटर कहलाता था. उस वक्त वह गुजरात युनिवर्सिटी की एमजी सायन्स कोलेज में फीझीक्स पढाता था. 2005 में जब आनंदीबेन पटेल शिक्षणमंत्री थी, तब परिमल को गुजरात युनि. का प्रो वीसी बनाया गया था. बाद में 2006 में उसे वीसी बनाया गया था. 

2007 के विधानसभा चुनाव में परिमल ने एलिसब्रिज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडने के लिए टीकट मांगी थी, मगर मोदी ने ऐसा कहते हुए इनकार किया था कि तुम युनिवर्सिटी में हमारा काम करते रहो. ओगस्ट, 2010 में जब सीबीआइ मोदी को कौसर-सोहराबुद्दीन हत्या केस के सीलसीले में बुलानेवाली थी तब मोदी ने त्रिवेदी को युनिवर्सिटी के छात्रों का बडा संमेलन कन्वेन्शन होल में आयोजित करने के लिए कहा और त्रिवेदी ने सभी कालेजों में परिपत्र भेजकर सात हजार स ज्यादा छात्रो, शिक्षकों और संस्थाओं के ट्रस्टियों को इकठ्ठा किया था. और उस सभा में मोदी ने सीबीआइ को आडे हाथ लिया था.