सही बात है.
दूनिया हंस रही है. एक साधु ने सपना देखा और आपने खुदाई शुरू कर दी. आप भूल गए कि
यह तो इक्कीसवीं सदी के साधु है. उन्हे सपने में सोना दिखाई देता है, नरसिंह महेता का तंबूरा नहीं. इन
साधुओं को तो सोना चाहिए, नाबालिग
लडकियां चाहिए, कुछ
लाख पाउन्ड में किसी टापु खरीदने की औकात चाहिए और सबसे घटिया बात तो यह है कि
उन्हे सत्ता के करीब पहुंचने के वास्ते एक राजकीय पक्ष चाहिए. अगर आपने आनेवाले
चुनाव में इन साधुओं की बात मानकर किसी राजकीय पक्ष को अपना पवित्र मत दे दिया तो
दुनिया सचमुच जोर जोर से हंसेगी
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