गुजराती साहित्य परिषद के चुनाव में नरेन्द्र मोदी के तमाम चमचों की हार हूई.
यह समाचार का रीपोर्टींग करते हूए गुजरात के हमारे एक पत्रकारमित्र लिखते है, "मोदी के लोगों की
परिषद में हार हूई, इसके लिए परिषद का आंतरिक राजकारण जिम्मेदार है." इस सज्जन की 2002 के दंगो में संघियोंने पीटाई की थी. परिणामस्वरूप, अब उनका
रीपोर्टींग ‘संतुलित’ हो गया है. इसलिए अब वह ऐसा नहीं लिख सकते कि परिषद में
कोम्युनल लोगों की हार हूई.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें