अगर आप इस देश को
सेक्युलर मानते हैं, तो आप बडी गलतफहमी कर रहे हैं. सेक्युलारीज़म सिर्फ संविधान
के पन्ने पर है. इस देश का ऱाष्ट्रपति उस शंकराचार्य को प्रणाम करता है, जो सिर्फ अपने
जन्म के अकस्मात से उस जगदगुरु के आसन पर बैठा है. इस देश की सर्वोच्च अदालत खात
मुहुर्त में उन सवर्ण ब्राह्मणों को बुलाती है, जो कभी भी दलितों
के घरों में किसी भी धार्मिक प्रसंग पर नहीं जाते. बाबरी मस्जिद की जगह राम लल्ला
का, चाहे छोटा, मंदिर बन चूका है
और उस मंदिर का स्टेटस क्वो बनाये रखने में इस देश का पूरा पोलीटीकल
एस्टाब्लीशमेन्ट एकजुट है. बाल ठाकरे इसी कम्युनल स्टेट की पनाह में बैठकर कभी
मुसलमानों को, कभी दलितों को, कभी बिहारियों को तो कभी मद्रासियों को गालियां देता
था. नरेन्द्र मोदी इतना बडा नरसंहार करवाने के बाद ईसी देश में प्राइम मीनीस्टर
बनने का ख्वाब पाल सकता है. आप बहुत दुखी है? सेक्युलारीज़म पर एक सेमीनार रख दिजीये. फंड
अच्छा मीलेगा.
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