बुधवार, 23 मई 2012

गुजरात पुलीस की धर्मसेवा


गुजरात के इडर शहर के पुलीस स्टेशन का बोर्ड, जिस पर गुजरात
पुलीस के एम्बलम के उपर लिखा है, धर्मसेवा



गुजरात में मोदी ने पुलीस को जमीन के दलालों की भी दलाल बना दी है, ऐसा हमने अमदावाद आए मानव अधिकार आयोग से कहा था. मगर हम गलत थे. गुजरात में संघ के प्रचारक ने पुलीस को सिर्फ जमीन माफीया की दलाल ही नहीं बल्कि धर्म सेवा में भी लगा दी है. गुजरात के इडर शहर के पुलीस स्टेशन पर कल हमने जो देखा उसकी तसवीर यहां रखी है.

हमारी गुहार पर मानव अधिकार आयोग ने गुजरात के पुलीस महानिर्देशक चित्तरंजनसिंह को जब ऐसे होर्डींग्स, बोर्ड्स निकाल देने के आदेश दिए, तब डीजी बता रहे थे कि ऐसे होर्डींग सिर्फ अमदावाद शहर में ही है, मगर यह इडर शहर के बोर्ड के बारे में डीजी का क्या कहना है? और इस बोर्ड में तो कोई यात्री टायर्स का इस्तहार भी है. और गुजरात पुलीस के एम्बलम पर लिखा है, 'धर्मसेवा'

पीछले दस साल से गुजरात पुलीस द्वारा किए गए कार्यों से इस धर्मसेवा का मतलब हम समज सकते हैं. गुजरात पुलीस के लिए धर्मसेवा का अर्थ है, मुसलमानों पर जवाबी कारवाई हो तब चुपचाप खडे रहेना, फेइक एन्काउन्टरों में निर्दोष मुसलमानों को मौत के घाट उतारना. गुजरात पुलीस धर्मसेवा का बहुत अच्छा अर्थ समजती है. धर्मसेवा का मतलब है, गांवों में दलितों पर अत्याचार के वक्त सवर्णों को साथ देना. धर्मसेवा का मतलब है, एट्रोसीटी एक्ट का कतई अमल न करना. धर्मसेवा का मतलब है, हिन्दुओं में त्रिशुल बांटनेवालों को उचित रक्षण देना. धर्मसेवा का मतलब है, मर्यादा पुरुषोत्तम नरेन्द्र मोदी के लिए वनवास (सोरी, जेलवास) तक झेलना.

सेक्युलर देश में पुलीस का कोई धर्म नहीं होता. पुलीस का काम है कानून की रखवाली. पुलीस को कोई धर्म से लेना देना नहीं है. गुजरात की पुलीस को मोदी ने कट्टरपंथ का जहर पीलाया है, इसका इससे बडा प्रमाण क्या होगा? हमारा पूरे देश के सेक्युलर लोगों से नम्र निवेदन है कि आप चंद मिनट निकालकर मानव अधिकार आयोग, गुजरात हाइकोर्ट के चीफ जस्टीस तथा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टीस को जरूर एक पत्र लिखें. आप अगर ऐसा सोचते रहें कि हमारे हाथ में सत्ता नहीं है, हम क्या कर सकते है या हमारे हाथ में सत्ता आएगी तब हम कुछ करेंगे तो मेरी बात ध्यान से सून ले. आप से बडा बेवकूफ कोई नहीं होगा.  


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