शनिवार, 3 नवंबर 2012

खाखी वर्दीवाले पर भरोसा करना


(दायें से) प्रफुल्ल बीडवाई, झकीया सोमन, प्रो. बीजापुरवाला, सीमा मुस्तफा, प्रो. सीनोई, राजु सोलंकी

"आंतकवाद के खिलाफ चल रही मुहीम को देखो. इस्तेहार में वे हमें समजाते हैं, किसी भी अपरिचित आदमी पर भरोसा मत करो. ट्रेन में, बस में, रास्ते पर, बाज़ार में, कोई आदमी रास्ता भूल गया है और आप से बात करना चाहता है. शायद वह कोई जालिम आतंकवादी हो सकता है. आप उनसे बात नहीं करेंगे. आप सिर्फ स्टेट पर भरोसा करेंगे, स्टेट की एजन्सियों पर भरोसा करेंगे. खाखी वर्दीवाले पर भरोसा करेंगे. हमारे गुजरात में कवि दुला भाया काग कहते थे, "कोई तारा आंगणीया पूछी ने आवे तो आवकारो मीठो आपजे हो जी." अब आतंकवाद-विरोधी प्रशिक्षक हमें समजातें हैं कि वह कोई आतंकवादी हो सकता है. भरोसा मत करना. खाखी वर्दीवाले पर भरोसा करना."

(नवेम्बर 10, 2006. नई दिल्ली में इन्डीया सोशल फोरम में इन्डीयन सोशल इन्स्टीट्यूट द्वारा आयोजित स्टेट ऑफ टेररीज़म एन्ड टेररीज़म ऑफ स्टेट विषय पर गोष्ठि में)


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