रविवार, 23 दिसंबर 2012

हमें विकास नहीं चाहिए


हमें विकास नहीं चाहिए. हम हमारी मगन कुंभार की चाली में, शीहोरी के बीटी कोटन के खेतों में, जीनींग मिलों में, खेतो-खदानों में हमारी पसीने की कमाई खाते आये हैं. हम ही तो बनाते हैं और साफ-सूथरे रखते हैं, ये सारे ओवरब्रिज. आप सिर्फ एक काम किजीए. गुजरात के और देश के तमाम मंदिरो में एक वाल्मीकि-भंगी-महेतर को पुजारी बना दिजीए.

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