बुधवार, 18 सितंबर 2013

पाप तारुं परकाश जाडेजा




गुजरात में जेसल और तोरल की कहानी मशहूर है. जेसल जाडेजा राजपूत जाति का एक अत्याचारी, आतंकी लूंटेरा था. कई निर्दोष लोगों की उसने कत्ल की थी. कई नवविवाहित युगलों को उसने मौत के घाट उतारा था. लोग उसके नाम से कांपते थे. एक बार उसने तोरल नाम की सुंदर स्त्री को देखा और उसे उठाकर ले गया. रास्ते में दोनों समंदर पार करने क लिए एक नाव में बैठे और बडा तुफान आया. नाव डगमगाने लगी.

जेसल कुदरत का तुफान देखकर डर गया और वह तोरल के आगे अपने सारे पापों का बयान करने लगा. तोरल सती थी. उसने जेसल को आश्वस्त करते हुए जो कहा, वह एक बहुत मशहूर लोकगीत में ढाला गया है. "पाप तारुं परकाश जाडेजा, धरम तारो संभार रे, तारी बेडली ने डुबवा नहीं दउं, ओ जाडेजा रे एम तोरल कहे छे जी" अर्थात हे, जाडेजा तुं तेरे पापों को याद कर (प्रायश्चित कर), मैं तेरी नैयां डूबने नहीं दुंगी."
 
आज यह कहानी हमें इसलिए याद आ गई कि बिलकुल तोरल की तरह देश का मीडीया आज गुजरात के मुख्यमंत्री के पापों को धो धोकर उन्हे पीएम की गद्दी के लिए पवित्र बना रहा है. फर्क तोरल और मीडीया में इतना ही है कि तोरल ने जाडेजा को उसके पापों के लिए शरमिंदा होने पर मजबूर किया था. देश का मीडीया आज के जेसल को उसके पापों के बारे में कुछ याद दिलाना नहीं चाहता.

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