सोमवार, 30 सितंबर 2013

इतिहास रीपीट हो रहा है



उत्तर प्रदेश में आज जिस तरह से अखिलेश की सरकार जाटों की भीड से नीपट रही है, उसे देख कर अस्सी के दसक के गुजरात की याद आ रही है. बस इसी प्रकार उन दिनों आरक्षण-विरोधी उपद्रव से कांग्रेस की सरकार निपट रही थी. कभी निरंकुश पुलीस दमन से तो कभी मेच फीक्सींग से. कहीं शासक पार्टी की मीटींग में पार्टी का सरगना कहता था, अच्छा हुआ यह आंदोलन दंगो में तबदील हो गया, हमारी सरकार बच गई. तो दूसरी और विपक्ष सत्ता पर आने की ताक में आरक्षण-विरोधियों के पीछे बैठकर कार चलाता था, जिसके नीचे आनेवाले दिनों में बहुत सारे "लोग" (उनकी भाषा में पपी) कुचलकर मरनेवाले थे. उस वक्त गुजरात में पटेल समुदाय शासन के खिलाफ सडकों पर उतर आया था. युपी में जाटों को बीजेपी इसी तरह आज भडका रही है. हालात वैसे ही है. युपी का अखिलेश और गुजरात का अमरसिंह. लगता है, इतिहास रीपीट हो रहा है.         

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