बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

एट्रोसीटी केस के आरोपी को बचाने के लिए गुजरात सरकार ने रू. 14 लाख खर्च किया

परिमल त्रिवेदी और उसका भगवान


एट्रोसिटी केस में गुजरात युनिवर्सिटी के ब्राह्मण पूर्व-कुलपति परिमल त्रिवेदी को बचाने के लिए सरकार ने वकीलों को रू. 14 लाख दिया. परिमल ने दलित प्राध्यापक पंकज श्रीमाली को जातिसूचक संबोधन किया था. श्रीमाली ने परिमल के उपर एट्रोसिटी केस दर्ज किया था. इसी केस में परिमल त्रिवेदी को बचाने के लिए गुजरात युनिवर्सिटी ने लाखो रूपया खर्च किया है. 

परिमल नरेन्द्र मोदी का बडा भक्त है. गुजरात में संघ परिवार ने छात्रों को भगवा रंग में रंगा है और इस कार्य में परिमल त्रिवेदी जैसे लोगों का बडा योगदान है. परिमल 1990 में अहमदाबाद के वस्त्रापुर वोर्ड का बीजेपी का उपाध्यक्ष था. चुनावों के दौरान परिमल अच्छा स्लोगन राइटर कहलाता था. उस वक्त वह गुजरात युनिवर्सिटी की एमजी सायन्स कोलेज में फीझीक्स पढाता था. 2005 में जब आनंदीबेन पटेल शिक्षणमंत्री थी, तब परिमल को गुजरात युनि. का प्रो वीसी बनाया गया था. बाद में 2006 में उसे वीसी बनाया गया था. 

2007 के विधानसभा चुनाव में परिमल ने एलिसब्रिज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडने के लिए टीकट मांगी थी, मगर मोदी ने ऐसा कहते हुए इनकार किया था कि तुम युनिवर्सिटी में हमारा काम करते रहो. ओगस्ट, 2010 में जब सीबीआइ मोदी को कौसर-सोहराबुद्दीन हत्या केस के सीलसीले में बुलानेवाली थी तब मोदी ने त्रिवेदी को युनिवर्सिटी के छात्रों का बडा संमेलन कन्वेन्शन होल में आयोजित करने के लिए कहा और त्रिवेदी ने सभी कालेजों में परिपत्र भेजकर सात हजार स ज्यादा छात्रो, शिक्षकों और संस्थाओं के ट्रस्टियों को इकठ्ठा किया था. और उस सभा में मोदी ने सीबीआइ को आडे हाथ लिया था.

1 टिप्पणी:

  1. NaMo should better be called Modern Day Manu, who calls manual scavenging as 'spiritual experience, (Ref his book 'Karmyog' 2007 ; saves people with Varna mindset from any eventuality.

    जवाब देंहटाएं