सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

जरा याद करो कुरबानी

वनझारा
अमीन
   
सिंघल


बनझारा, सिंघल तथा अमीन जैसे आइपीएस अधिकारियों ने मोदी के इशारे पर फर्जी एन्काउन्टर्स किया और जेल में गए. बनझारा ओबीसी है, उनकी जाति के कई बच्चें आज भी अहमदाबाद के करीब अडालज क्षेत्र में इंटो के भठ्ठे पर मजदूरी करते है. समूचा बनझारा समुदाय भयानक गरीबी में सड रहा है. उनकी जाति का एक आदमी आइपीएस बना, मगर उनके कल्याण के लिए वह कुछ कर नहीं सका, क्योंकि उसने हिन्दुत्व की अफीम जो खा ली थी. सिंघल और अमीन -  यह दोनों आइपीएस अधिकारी दलित समाज के हैं. अमीन पहले डोक्टर था. बाद में आइपीएस बना. यह दोनों अधिकारी गुजरात के समुचे दलित समुदाय की मूर्खता तथा बदहोशी का सबसे बडा प्रमाण है. अपने समुदाय का उत्थान करने के बजाय यह लोग मोदी तथा संघपरिवार की खुशामत करने के लिए ऐसे घिनौने काम करते गये कि आज उनको जेल में अपराधियों के बीच सडना पड रहा है. आज पूरे देश के दलितों के लिए यह अधिकारी एक सबक के समान है. बीजेपी अगर सत्ता आएगी, तो ओबीसी और दलित अधिकारियों को इसी तरह बेवकूफ बनाकर राज करेगी.  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें