एक थे वली गुजराती (1667-1707). उर्दू में गज़ल लीखनेवाले प्रथम कवि. गुजरात को करते थे प्यार, इस लिए कहलाए वली गुजराती. जन्म हुआ औरंगाबाद में, मृत्यु हूई अहमदाबाद में, वहां उनकी बनी मजार |
2002 के दंगों मे मजार नष्ट कर दी गई और उसकी जगह हनुमान का मंदिर बनाया गया |
भगवान का मंदिर स्वच्छ, पवित्र जगह पर होता है, मगर पागल कट्टरपंथियों ने वली की मजार तोडकर कूड़े-कचरे की डम्पींग साइट पर हनुमान का मंदिर बनाया |
आज वह जगह एक दलित दंपति के जीवन निर्वाह का स्रोत है. वे वहां दिनभर बैठते हैं, कूड़े-कचरे में से प्लास्टीक की थैलियां, वगैरह निकाल कर बैचते है. |
हमें देखकर उनके थके हूए चहेरों पर आ जाती है रौनक, उन्हे लगता है, कोई तो है, जो हमारे अस्तित्व की पहचान करवाने के लिए बेताब है. |
वह है जीवीबेन लेउवा और उनके पति. वे शाहीबाग, घोडा केम्प एरीया में रहते है. |
उनको देखा उसी क्षण मुझे मालुम था कि यह मेरे लोग है, फीर भी मैंने पूछा, आप की जाति क्या है, जीवीबेन ने कहा, चमार |
क्या आपकी कोई संतान नहीं है, मैंने पूछा. बुज़ुर्ग ने जवाब दिया, दो बेटे थे. एक बेटा दशामा के विसर्जन के दौरान नदी में डूब गया, दूसरा खड्डे खोदने जाता है. |
हमारे बारे में कुछ लिखना |
बीपीएल कार्ड है, मगर कोई काम का नहीं है |
संकटमोचन हनुमान मंदिर के मालिक-पुजारी अभिषेक शास्त्री-जोषी रमणलाल |
मंदिर में दिनभर ताला लगा रहेता है, पुजारी स्टोक मार्केट में जाता है या सीफीलीस की ट्रीटमेन्ट करवाने, किसे पता... |
एक कडवा सच - बम्मन लोग दलितों, आदिवासियों, पीछडी जातियों के लोगों को उक्साते हैं, उनके हाथों मुसलमानों की मस्जिदें, मजारें तूडवाते हैं और फिर धरम के नाम पर धंधा शुरू करते हैं. |
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